बेंगलुरू। सरकार 2000 रुपए की करेंसी को एटीएम मशीनों की पहुंच से हटाने जा रही है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि 2000 रुपए के नोट की वैधता खत्म हो जाएगी। दरअसल, पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया के जरिए यह अफवाह फैलाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार 2000 रुपए की करेंसी को बंद करने जा रही हैं।
हालांकि गत मंगलवार केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सरकार की 2000 रुपए की करेंसी को बंद करने की कोई योजना नहीं हैं। सरकार की योजना है कि बस 2000 रुपए की करेंसी को प्रचलन से बाहर रखा जाए।
गौरतलब है 8 नवंबर, वर्ष 2016 को हुई 500 और 1000 रुपए की करेंसी की नोटबंदी की घोषणा के बाद 2000 रुपए की करेंसी प्रचलन में आई थी, लेकिन 2000 रुपए के नोट के प्रचलन में आते ही कहा जाने लगा कि इससे भ्रष्टाचार और ब्लैक मनी को बढ़ावा मिलेगा। यह आशंका सही साबित हुए है।
यही वजह है कि सरकार अब 2000 रुपए की करेंसी को धीरे-धीरे प्रचलन से हटाने की कवायद में जुट गई है। इसी कवायद के पहले चरण में सरकार ने एटीएम मशीनों से 2000 रुपए की करेंसी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी हैं ताकि जमाखोरी में कमी लाई जा सके।
भारत के सबसे बड़ी बैंकों में शुमार भारतीय स्टेट बैंक ने एटीएम से 2000 रुपए के नोटों को हटाने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है और बताया जा रहा कि अगले चरण में अन्य सरकारी बैंक भी एटीएम से 2000 रुपए की करेंसी हटाने की प्रक्रिया को अपनाएंगे।
मतलब अगली बार अगर आप एटीएम से पैसा निकालने के लिए पहुंचे और 2000 रुपए के नोट न मिले तो आश्चर्य मत कीजिएगा, क्योंकि ज्यादा संभावना है कि एसबीआई एटीएम पर से 2000 रुपए की करेंसी ग्राहकों को मिलना बंद हो जाएं, क्योंकि एसबीआई ने सबसे पहले इस पर अमल शुरू किया है।
हालांकि 2000 रुपए की करेंसी के बंद होने की अफवाहों के बीच मार्केट में 2000 रुपए के नोट लेने में हिचकिचाहट शुरू हो गई थी, लेकिन गत मंगलवार को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के बयान के बाद उन अटकलों को अचानक विराम लग गया, जिसमें 2,000 रुपए के नोट बंद होने का दावा किया जा रहा है।
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि असली भावना अब बाहर आई है, जो चिन्ता व्यक्त की गई, मुझे लगता है कि किसी को ऐसी चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
दरअसल, सपा नेता विशंभर प्रसाद निषाद ने राज्यसभा में प्रचलित 2000 रुपए की करेंसी पर सवाल उठाए थे और कहा था कि 2000 रुपए के नोट ने देश में काले धन की वृद्धि की है। उन्होंने सवाल किया कि देश के लोगों को भ्रमित किया जा रहा है कि क्या 2000 रुपए के नोट बन्द होने जा रहे हैं और उसकी जगह 1000 रुपए के नोट पुनः छपाई होगी।
हालांकि सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी फैसला बताते हुए कहा कि इससे न सिर्फ मुद्रा की मात्रा बढ़ी है बल्कि जाली मुद्रा पर भी रोक लगी है। साथ ही डिजिटल भुगतान में इजाफे से नोटों के परिचालन को कम करने में सफलता मिली है।
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सदन को नोटंबदी के फायदों का उल्लेख करते हुए कहा कि नोटबंदी से देश में कालेधन का खात्मा हुआ था। इसके जरिए जाली नोट की समस्या से निपटने में मदद मिली, आतंकवाद के वित्तपोषण की जड़ पर प्रहार किया गया, गैर औपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने में मदद मिली और इसका प्रमुख उद्देश्य भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाना था। इसके अलावा नोटबंदी का बड़ा उद्देश्य डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना था।
इन अफवाहों को बल तब मिला जब हाल ही में आरएसएस से जुड़े एक आर्थिक विचारक एस. गुरुमूर्ति एक टीवी चैनल पर बयान दिया कि अगले पांच साल में 2000 रुपए के नोट बंद होने जाएंगे। उनके उक्त बयान के बाद से अफवाहों का बाजार गर्म हो गया और 2000 रुपए के नोट को लेकर लोगों में आशंका घर कर गई।
माना जाता है कि 8 नवंबर, 2016 को जब मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी तब कैश की कमी से निपटने के लिए आनन-फानन में रिजर्व बैंक को 2000 के बड़े नोट को छापने को कहा था। गुरुमूर्ति ने अपने बयान में एक बात और कहकर लोगों को चौंका दिया है कि भविष्य में 500 रुपए से बड़ी करेंसी इंडिया में नहीं होगी।
उल्लेखनीय है एस. गुरुमूर्ति संघ परिवार से जुड़े आर्थिक मामलों के सबसे बड़े विद्वानों में से जाने जाते हैं। 2009 में भाजपा के जब काले धन पर एक टास्कफोर्स बनाया था तो गुरुमुर्ति उसके अहम् सदस्य थे। ऐसा माना जाता है कि भाजपा के नेता भी महत्वपूर्ण आर्थिक मसलों में उनकी सलाह जरूर लेते हैं।
ऐसा कहा जाता है 2000 के नोटों के चलते देश में जमाखोरी बढ़ी है और हाल-फिलहाल में देश के विभिन्न इलाकों में हुई छापामारी में अनेक जगहों पर 2000 के नोटों का जखीरा मिला है। इसलिए माना जा रहा है यह अफवाह विभागीय भी हो सकती है, जिससे जमाखोरी की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी और लोग अपने पास रखने से डरेंगे, क्योंकि लोगों को हमेशा ये आशंका रहेगी कि नोट अमान्य हो सकते हैं।