नई दिल्ली। एडीआर ने महिलाओं के खिलाफ जनप्रतिनिधियों के द्वारा किए गए अपराधों की एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2009 से 2019 तक, लोकसभा में महिलाओं के खिलाफ अपराध के घोषित मामलों के साथ सांसदों की संख्या में 850 फीसदी की वृद्धि हुई है। ADR के मुताबिक 2009 से 2019 तक के लोकसभा चुनावों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के घोषित मामलों के साथ उम्मीदवारों की संख्या में 231 फीसदी की वृद्धि हुई है।
राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस सूची में सबसे ऊपर
एडीआर ने घोषित आपराधिक मामलों में 756 सांसदों और 4063 विधायकों पर रिपोर्ट तैयार की गई। जिसमें 76 सांसदों या विधायकों ने महिलाओं के साथ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की। इन 76 सांसदों या विधायकों में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित घोषित मामलों के साथ, 58 विधायक हैं और 18 सांसद हैं। देश के विभिन्न मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस सूची में सबसे ऊपर है क्योंकि उसके 21 सांसदों या विधायकों ने महिलाओं के खिलाफ आपराधिक अपराध घोषित किया है। इस मामले में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। कांग्रेस के 16 सांसदों पर इस तरह के मामले दर्ज हैं। वहीं तीसरे नंबर पर वाईएसआर कांग्रेस है। उसे 7 सांसदों के उपर महिलाओं के साथ अपराध के मामले दर्ज हैं। पिछले पांच वर्षों में प्रमुख दलों में बीजेपी ने ऐसे 66 , कांग्रेस ने 46, बसपा ने 40 उम्मीदवारों को टिकट दिया। जिनके उपर महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से किसी भी उम्मीदवार को अब तक दोषी नहीं ठहराया गया है।
410 उम्मीदवारों जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की
410 उम्मीदवारों जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की
पिछले 5 वर्षों में, लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों में महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित घोषित आपराधिक मामलों में कुल 572 उम्मीदवार आरोपी हैं। 410 उम्मीदवारों जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की थी जिन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा टिकट दिया गया था। इन उम्मीदवारों में से 89 उम्मीदवारों को लोकसभा और राज्यसभा चुनावों के लिए पार्टियों द्वारा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए 321 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। 162 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों में खुद की संलिप्तता बताया है, जो पिछले 5 वर्षों में लोकसभा और राज्यसभा और विधानसभाओं के चुनावों के लिए लड़े थे। पिछले 5 वर्षों में, 35 निर्दलीय उम्मीदवारों ने लोकसभा और राज्यसभा चुनावों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की। इसी तरह, राज्य विधानसभाओं के चुनावों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित घोषित मामलों वाले 127 स्वतंत्र उम्मीदवार हैं।
टीएमसी और बसपा जैसी पार्टियों ने भी ऐसे उम्मीदवारों का दिया टिकट
एडीआर ने कहा कि इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि राजनीतिक दल महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दे पर चिंतित नहीं हैं। कांग्रेस, बसपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे महिलाओं के नेतृत्व वाले राजनीतिक दलों के मामले में कहानी अलग नहीं है। इन सभी दलों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले उम्मीदवार उतारे। राज्यों की अगर बात करें तो पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा सांसद और विधायक हैं यानी 16 । उसके बाद ओडिशा और महाराष्ट्र में 12 सांसद / विधायक हैं, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
पिछले 5 वर्षों में महाराष्ट्र में सबसे अधिक उम्मीदवार हैं यानी 84, उसके बाद बिहार में 75 और पश्चिम बंगाल में 69 उम्मीदवार हैं (निर्दलीय सहित) जिन्हें राजनीतिक दलों द्वारा टिकट दिए गए थे, भले ही उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपने हलफनामों में संबंधित मामलों की घोषणा की हो।