लखनऊ. प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार को काबू करने के लिए योगी सरकार ने अब 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनानी शुरू कर दी है। भ्रष्टाचार और घपलों में लिप्त सरकारी कर्मचारियों एवं अफसरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। जैसे-जैसे जांच-पड़ताल हो रही है, वैसी आरोपियों पर गाज गिर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक 1000 से ज्यादा अफसरों-कर्मचारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ इसे यूपी सरकार का अब तक सबसे बड़ा ऐक्शन बताया जा रहा है। एक हजार से भी ज्यादा अफसरों एवं कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया गया है। इसी क्रम में परिवहन विभाग के 37 और राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों को हटाया गया। साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग के 26 अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई है।
सीनियर आईएएस राजीव कुमार को भी जबरन रिटायर करने का नोटिस जारी किया जा चुका है। भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे राजीव कुमार द्वितीय उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच के अफसर हैं। आरोप लगने के बाद राजीव कुमार ने नोएडा प्लाट आवंटन घोटाले मामले में सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इसके अलावा सरकार ने कई दागी एवं भ्रष्ट अफसरों को वेटिंग लिस्ट में भी डाल रखा है। इनमें आईएएस अभय सिंह, विवेक कुमार, देवीशरण उपाध्याय, पवन कुमार, अजय कुमार सिंह, प्रशांत शर्मा के नाम शामिल हैं।
प्रदेश में पंचायती राज विभाग के 25 अधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई है। पीडब्ल्यूडी के 18, लेबर डिपार्टमेंट के 16, संस्थागत वित्त विभाग के 16, कमर्शियल टैक्स के 16 अधिकारियों को नोटिस दिए गए और फिर कार्रवाई हुई। इससे पहले 5 आईएएस अफ़सरों को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है।
जानकारी के अनुसार, 1980 बैच आईएएस शिशिर प्रियदर्शी, 1983 बैच आईएएस अतुल बगोई, 1985 बैच के आईएएस अरुण आर्या, 1990 बैच के आईएएस संजय भाटिया, 1997 बैच की आईएएस रीता सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। आईएएस अफसरों के अलावा पीसीएस अफसरों पर भी कार्रवाई हो रही है।
जिन पीसीएस अफसरों को टर्मिनेट और डिमोट किया गया है, उनमें अशोक कुमार शुक्ला, अशोक कुमार लाल और रणधीर सिहं दुहन शामिल हैं। प्रभू दयाल को एसडीएम से तहसीलदार के पद पर डिमोट गया है। गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव को डिप्टी कलेक्टर से तहसीलदार बना दिया गया है।