बस्ती। भावनाओं में परिवर्तन लाकर मानव से मानव में प्रेम बढ़ाएं, और आडम्बर व पाखण्ड से दूर रहें यह बाते सूर्यबक्स पाल स्मारक पी0जी0 कालेज बनकटी के प्राचार्य डा0 अजीत प्रताप सिंह ने संचितं विकास संस्थान बस्ती द्वारा भारतीय भाषा संस्थान नई दिल्ली के सहयोग से सूर्यबख्स पाल कन्या इण्टर कालेज बनकटी में संतकबीर के जीवन दर्शन पर आयोजित गोष्ठी में ब्यक्त किया।
कहा कि संतकबीर दास 15 वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। इनकी रचनाओं ने भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उन्होने सामाजिक अंधविश्वास की निन्दा के साथ सामाजिक बुराइयों की सख्त आलोचना की थी।
विशिष्ट अतिथि चीफ प्राक्टर डा0 रामजन्म सिंह ने कहा कि संतकबीर ने अपनी कविता के माध्यम लोगो को जगाने का कार्य किया, साखी, सबद व रमैनी उनकी प्रमुख कृतियोॅं हैं। कविताओं के द्वारा समाज में बदलाव की बयार बही। कलम, कागज और दावात के बिना उन्होनें तमाम कविताएं लिखा ''मसि कागज छूयों नहिं, कलम गहीं नहिं हाथ'' प्रवक्ता दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा कि संस्कारों में परिवर्तन लाकर समाज की भलाई की की जा सकती है। एकेश्वर वाद में उनका पूरा विश्वास था। मूर्ति पूजा के वे घोर विरोधी थे। '' पाहन पूजे हरि मिलै, तो मै पूजौं पहार। वा ते तो चाकी भली, पीसी खाय संसार।। उमेश कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या प्रसाद यादव के साथ अन्य लोगो ने भी संतकबीर के जीवन पर प्रकाश डाला।