कन्हैया कुमार ने कहा, जब हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने जा रहे हैं, तो क्या देश में 5 हजार छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दी जा सकती? जेएनयू की जहां तक बात है तो किसी भी छात्र को खैरात में कुछ नहीं दिया जा रहा है.
फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री से आश्वासन मिलने के बाद धरना खत्म कर दिया. इसके बाद छात्रों का प्रतिनिधिमंडल मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' से मिला. मंत्री ने फीस बढ़ोतरी वापस लेने का आश्वासन दिया है. इस मुद्दे पर जेएनयू छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने 'इंडिया टुडे' से बात की. कन्हैया कुमार ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाया और कहा कि जेएनयू में गरीब छात्र पढ़ते हैं इसलिए फीस नहीं बढ़ाई जानी चाहिए.
शुल्क वृद्धि के एक सवाल पर कन्हैया कुमार ने कहा, 'जेएनयू को लेकर एक माहौल बनाया जा रहा है कि इसके छात्र बिना वजह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, राजनीति कर रहे हैं जो कि सरासर झूठ है. जेएनयू में जिस तरह से फीस वृद्धि की गई है उससे 100 में से 40 फीसदी छात्र पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. ये 40 फीसदी छात्र ऐसे हैं जिनके परिवार की मासिक आमदनी 12 हजार रुपये है. फीस वृद्धि अगर लागू की जाती है तो जेएनयू देश की सबसे महंगी सेंट्रल यूनिवर्सिटी हो जाएगी. फिर जो छात्र गरीब-किसान परिवार से आते हैं, वे पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. इसीलिए जेएनयू के विद्यार्थी यह आंदोलन कर रहे हैं.' फीस वृद्धि वापस लेने को लेकर कन्हैया कुमार ने कहा कि यह सरासर झूठ है क्योंकि इसमें मामूली फेरबदल कर इसे हूबहू लागू कर दिया गया है.
जेएनयू छात्रों को मिलने वाली सब्सिडी से जुड़े एक सवाल पर कन्हैया कुमार ने 'इंडिया टुडे' से कहा, इस देश के पार्लियामेंट में जो सांसद जाते हैं उनके खाने पर सब्सिडी है, उनके रहने पर सब्सिडी है. जहां तक टैक्सपेयर्स के पैसे की बात है तो टैक्सपेयर्स के पैसे से 3 हजार करोड़ की मूर्ति बनाई जा रही है, टैक्सपेयर्स के पैसे से मुख्यमंत्री के लिए प्राइवेट जेट खरीदा जा रहा है, तो क्या ये टैक्सपेयर्स के पैसे की बरबादी नहीं है?
कन्हैया कुमार ने आगे कहा, जब हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने जा रहे हैं, तो क्या देश में 5 हजार छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दी जा सकती? जेएनयू की जहां तक बात है तो किसी भी छात्र को खैरात में कुछ नहीं दिया जा रहा है. ऑल इंडिया लेवल पर परीक्षा पास कर लोग जेएनयू में एडमिशन लेते हैं. देश की स्थिति ये है कि मात्र 3 परसेंट लोग हायर एजुकेशन में आते हैं, 1 परसेंट से भी कम लोग रिसर्च प्रोग्राम में शामिल हो पाते हैं. इसलिए यह बोलना कि रिसर्च में पैसा बरबाद किया जा रहा है, यह अपने आप में बहुत हास्यास्पद है. किसी भी देश को बेहतर बनाने के लिए अच्छे रिसर्च की जरूरत होती है. जेएनयू एकमात्र यूनिवर्सिटी है जो सोशल साइंस में अच्छे रिसर्च प्रोड्यूस करती है.
बता दें, जेएनयू छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण सोमवार को मध्य दिल्ली में भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई. प्रदर्शनकारी छात्रों को संसद की तरफ बढ़ने से रोक दिया गया, जिस कारण पुलिस के साथ उनकी नोकझोंक भी हुई. प्रशासन ने संसद भवन के पास स्थित तीन मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद कर दिए, ताकि छात्रों को संसद पहुंचने से रोका जा सके. पुलिस ने इसके पहले संसद भवन की तरफ जुलूस के रूप में बढ़ रहे छात्रों को रोकने के लिए सफदरजंग मकबरे के पास बैरिकेड्स लगा दिए. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हुआ है.