इससे पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाये जाने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की।
उच्चतम न्यायालय राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में शनिवार को फैसला सुनायेगा। अयोध्या पर फैसले के लिए कल कोर्ट नंबर 1 को खोल जायेगा जहां इस मामले से जुड़े लोगों को ही अंदर जाने की अनुमति होगी।
प्रधान न्यायासधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ शनिवार की सुबह साढ़े दस बजे यह फैसला सुनायेगी। संविधान पीठ ने 16 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी। पीठ ने छह अगस्त से लगातार 40 दिन इस मामले में सुनवाई की।
इससे पहले आज प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाये जाने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की। सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश के कक्ष में करीब एक घंटे यह बैठक चली। बैठक में उप्र के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी और पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने राज्य में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये किये गये बंदोबस्त से प्रधान न्यायाधीश को अवगत कराया। प्रधान न्यायाधीश के साथ हुई इस बैठक के बारे में और ज्यादा जानकारी उपलबध नहीं हो सकी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान- में बराबर बराबर बांटने के उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के निर्णय के खिलाफ दायर अपीलों पर 40 दिन तक सभी पक्षों की दलीलें सुनी। पीठ ने 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा।
उधर, अयोध्या में श्रीरामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से पहले राम की नगरी अयोध्या छावनी में बदल गयी है। जमीन से आसमान तक पुलिस निगरानी की व्यवस्था की गयी है। शहर के हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं। आसमान से ड्रोन कैमरे चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं।
अयोध्या की सुरक्षा के प्रभारी एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय ने विशेष बातचीत में बताया, 'अयोध्या में सुरक्षा के लिये 60 कंपनी पीएसी और अर्धसैनिक बल तैनात किए गये हैं। इसमें 15 कंपनी पीएसी, 15 कंपनी सीआरपीएफ और 10 कंपनी आरएएफ हाल में अयोध्या आयी है जबकि 20 कंपनी पीएसी पहले से ही यहां तैनात थी। इसके अलावा दूसरे जनपदों से आये सुरक्षाकर्मियों में 1500 सिपाही, 250 सब इंस्पेक्टर, 150 इंस्पेक्टर, 20 डिप्टी एसपी, 11 एडिशनल एसपी तथा दो एसपी तैनात किये गये हैं। इसके अलावा अयोध्या के विभिन्न थानों में तैनात सुरक्षा बल तो पहले से ही यहां पर है।''
इसके साथ ही आसमान से निगरानी के लिये कैमरे युक्त 10 ड्रोन तैनात किए गए हैं। शहर के सभी 30 चौराहों पर सीसीटीवी लगाये गये हैं। इनकी निगरानी के लिए चौबीसों घंटे काम करने वाला नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने एक हेलीकॉप्टर भी अगले आदेश तक अयोध्या में रखने के निर्देश दिये हैं, ताकि आपात स्थिति में उसकी सेवा ली जा सके।
आईपीएस आशुतोष पांडेय पहले अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस रह चुके हैं और शहर के चप्पे-चप्पे तथा मिजाज से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। इसके अलावा नवंबर 2018 में अयोध्या में धर्म संसद के आयोजन के दौरान उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इन्हीं की थी। पांडेय ने बताया कि जिस स्थान पर रामलला विराजमान हैं उसके आसपास के इलाके को 'यलो जोन' बनाया है और वहां पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा व्यवस्था को काफी मजबूत किया गया है। इस इलाके में राम लला के दर्शन करने जा रहे लोगों की गहन जांच की जा रही है और हर व्यक्ति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पूरे अयोध्या शहर को तीन जोन, 31 सेक्टर और 35 सब सेक्टर में बांटा गया है।
उन्होंने बताया कि रामलला के दर्शन के लिये अधिक लोगों के आ जाने पर शहर के बाहर होल्डिंग एरिया बनाया गया है, जहां दर्शनार्थियों के जत्थों को रोका जायेगा और उन्हें छोटे-छोटे समूहों में दर्शन करने के लिये भेजा जायेगा ताकि एकदम से अयोध्या में भीड़ ना बढ़े। शहर के बाहर पार्किंग के लिये भी कई स्थान चिन्हित किये गये हैं ताकि बाहर से आने वाले वाहनों को वहां रोका जा सकें और वहां से श्रद्धालुओं को पैदल दर्शन करने के लिये भेजा जा सके। पांडेय ने बताया कि अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए आने पर कोई रोक नहीं है और रोजाना हजारों की तादाद में लोग आ रहे हैं।