नयी दिल्ली। राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुनाए जाने वाले फैसले के मद्देनजर शनिवार को उच्चतम न्यायालय के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई।
कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन रामलला को दी जाए। सरकार मंदिर निर्माण के लिए नियम बनाएं।
राम जन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दे दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले। या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे। कोर्ट ने कहा कि हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं।
कोर्ट में कहा कि अयोध्या में ही मस्जिद के लिए सुन्नी बफ्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन दी जाए। आपको बता दें कि यह फैसला संविधान की धारा 142 के तहत सुनाया गया।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्ट बनाए।
टिप्पणी में कोर्ट ने कहा, सुन्नी बफ्फ बोर्ड को वैकल्पिक जमीन देना जरूरी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम विवाद को 2 लोगों के बीच के विवाद के तौर पर देखते हैं। जिसके मुताबिक अब दो पक्षकार रह गए है- सुन्नी बफ्फ बोर्ड और रामलला विराजमान
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं के वहां पर अधिकार की ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी। 1877 में उनके लिए एक और रास्ता खोला गया था। अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज बंद हो जाने का कोई सबूत नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट में कहा कि ढांचे के नीचे पुरानी रचना से हिन्दू का दावा नहीं माना जा सकता है।
अयोध्या में राम के जन्म के दावे को किसी ने विरोध नहीं किया, विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते रहे थे।
कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। नीचे विशाल रचना थी जो कि इस्लामिक नहीं थी।
एएसआई की खुदाई में जो कुछ मिला उसे सुप्रीम कोर्ट ने सबूत माना। इसी के साथ रामलला को कानूनी मान्यता भी दी।
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार विवादित भूमि सरकारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया निर्मोही अखाड़े का दावा।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जजमेंट पढ़ते हुए कहा कि मस्जिद कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की आस्था दूसरे व्यक्ति
शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज, सीजेआई गोगोई ने कहा कि हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई फैसला पढ़ रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि 1949 में मूर्तियां रखी गईं।
सर्वसम्मति से आएगा फैसला, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जजमेंट पढ़ना शुरू किया। आधे घंटे में आएगा पूरा फैसला।
मुख्य न्यायाधीश और उनके सहयोगी जज कोर्ट रूम पहुंचे।
कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की कोर्ट के बाहर वकीलों का भारी जमावड़ा है। हर किसी को मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट रूम पहुंचने का इंतजार है, जिसके बाद देश के सुप्रीम मामले का फैसला सुनाया जाएगा।
अयोध्या में विवादित जमीन पर मालिकाना हक संबंधी मुकदमे में उच्चतम न्यायालय की पीठ शनिवार पूर्वाह्न 10:30 बजे अपना फैसला सुनाएगी। न्यायालय परिसर के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है और सभी वाहनों तथा राहगीरों की भी पूरी जांच की जा रही है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई,न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर के घरों के बाहर भी दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है। ये भी शीर्ष न्यायालय की फैसला सुनाने वाली पीठ का हिस्सा हैं।