बस्ती।चहलुम इमाम हुसैन की पूर्व संध्या पर शनिवार की रात स्टेट बैंक के पीछे स्थित इमामबाड़ा लाडली मंजिल में मजलिस का आयोजन किया गया। सोगवारों ने नौहा व मातम करके कर्बला के शहीदों को याद किया। मजलिस को खिताब फरमाते हुए मौलाना हैदर मेंहदी ने कहा कि कर्बला से ज्यादा मसायब शाम (सीरिया) में पैगम्बर के अहलेबैत पर ढ़ाए गए।
कर्बला किसी एक दिन की घटना का नाम नहीं है, बल्कि बनी उमैया की ओर से अहलेबैत के खिलाफ वर्षा तक किए गए विष वमन का नतीजा थी। उन्होंने कहा कि यजीद के पिता अमीर माविया के दौर से ही अली व औलादे अली को बुरा-भला कहा जाने लगा था। कुरआन व नबी का मजाक उड़ाया जा रहा था। कर्बला में इमाम की शहादत के बाद जब अहलेबैत का काफिला सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचा तो यजीद सिंहासन पर बैठा हुआ था। उसके पैर के नीचे इमाम हुसैन का कटा हुआ सिर रखा था। 700 लोगों के बीच अहलेबैत की औरतों को बिना चादर के यजीद के सामने पेश किया गया।
कर्बला में शहीद होने से बचे इमाम के बेटे हजरत जैनुल आब्दीन कहा करते थे कि हम लोगों पर कर्बला से ज्यादा यजीद के दरबार में जुल्म हुआ। मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन ने कहा कि कि हमारे जैसे लोग यजीद जैसों की कभी भी अधीनता स्वीकार्य नहीं कर सकते हैं। दुनिया में बढ़ते जुल्म व नाइंसाफी के इस दौर में इमाम का यह जुमला बेहद प्रासांगिक है। इससे पूर्व मोहम्मद रफीक व उनके साथियों ने सोज व सुहेल हैदर ने सलाम पेश किया। सोनू, साबिर सहित अन्य ने नौहा पेश किया। डा. बीएच रिजवी, हाजी अनवार काजमी, जीशान रिजवी, शम्स आबिद, अन्नू, फरहत हुसैन, अरशद आबिद, सफदर रजा, मोहम्मद मेंहदी सहित अन्य मजलिस में मौजूद रहे।