बस्ती । कवि, साहित्यकार अपने समय के प्रति सजग होने के साथ ही सत्य की स्थापना के लिये संघर्ष करते हैं। 86 वर्ष की आयु में भद्रसेन सिंह बंधु का कविता के प्रति समर्पित होना विस्मय पैदा करता है। यह विचार देश के श्रेष्ठतम गीतकार यश मालवीय ने शनिवार को ब्लाक रोड स्थित एक होटल में शान्ती देवी जन कल्याण एवं शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित भद्रसेन सिंह 'बंधु' कृत 'गीत बासुरी' के विमोचन अवसर पर व्यक्त किया।
मुख्य अतिथि के रूप में भद्रसेन सिंह 'बंधु' के व्यक्तित्व, कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये यश मालवीय ने कहा कि 'गीत बांसुरी' से गुजरते हुये बराबर यह अनुभव होता रहा कि जैसे कि हम किसी गीत ऋषि के गीत पढ रहे हो। शिल्प और कथ्य का ऐसा संयोजन जैसे गंगा स्नान कर लिया हो। वास्तव में 'गीत बांसुरी' में गीतों की गंगा ही साकार हुई है। गीत रचे नहीं वरन जिये जाते हैं। यश मालवीय ने अपने पिता उमाकान्त मालवीय के शव्दों में कामना किया कि बंधु जी को राम की नहीं राम कथा की आयु मिले।
विशिष्ट अतिथि कवि देवेन्द्र आर्य ने भद्रसेन सिंह बंधु के काव्य जिजिविषा को प्रणाम करते हुये कहा कि वे अपनी रचनाओं में पूरे समाज की व्यवस्था को व्यक्त करते हैं। अध्यक्षता करते हुये यशभारती से सम्मानित प्रो. माता प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि बंधु जी का सृजन धर्म अतुलनीय है। उन्होने स्वयं के अलावा अनेक रचनाकारों को प्रोत्साहित किया।
डा. रघुवंश मणि त्रिपाठी ने बंधु जी की साहित्यिक अभिरूचि, सृजनात्मकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि वे देवेन्द्र कुमार बंगाली, बाल सोम गौतम और प्रेमशंकर मिश्र के काव्य परम्परा के कवि हैं। 'गीत बांसुरी' का प्रकाशन इन अर्थों में महत्वपूर्ण है कि यह हिन्दी के प्रौढ और कुशल कवि का कविता संग्रह है। संचालन करते हुये हरीश दरवेश ने महत्वपूर्ण सन्दर्भों पर प्रकाश डाला। डा. रामनरेश सिंह मंजुल, हरिओम श्रीवास्तव, वीरेन्द्र त्रिपाठी आदि ने काव्य संग्रह के विभिन्न विन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की।
विमोचन के बाद दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियत्री शिवा त्रिपाठी सरस ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। इसी कड़ी में सत्यवंदा, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, सतीश आर्य, श्याम प्रकाश शर्मा, राममणि शुक्ल, डा. कमलेश पाण्डेय, विनोद उपाध्याय, शिव प्रसाद सिंह आतिश, सोमेश्वर प्रसाद, कुलदीप नाथ शुक्ल, रहमान अली रहमान, शाहिद बस्तवी, सुधीर सिंह साहिल, लालमणि प्रसाद आदि ने रचनाओं के माध्यम से वातावरण को ऊंचाई दी। कार्यक्रम में पुष्कर मिश्र, श्रवण कुमार, राजेश गिरी, शिव प्रकाश सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में साहित्यकार, कवि, समाजसेवी शामिल रहे।
सत्य की स्थापना के लिये संघर्ष करते हैं कवि, साहित्कार-यश मालवीय भद्रसेन सिंह ‘बंधु’ कृत ‘गीत बासुरी’ के विमोचन में कविता संसार के जीवन मूल्यों पर विमर्श
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October 20, 2019