बस्ती। समाचार पत्रों के हाकर्स यूनियन ने दीपावली के दिन से अखबार बांटने की हड़ताल कर दी है । इनका कहना है कि समाचार पत्रों के प्रबन्धतन्त्र ने हमारे बिक्री से बचे अखबारों की वापसी बन्द कर दी है, जिससे हाकर्स का आर्थिक शोषण हो रहा है , इसके साथ ही दीपावली में उपहार न मिलने की नाराजगी भी जताई गयी है ।
तीन प्रमुख समाचार पत्रों के नोएडा, कानपुर और गोरखपुर के प्रसार प्रबन्धक को लिखे पत्र में समाचार पत्र वितरकों ने अपनी उपरोक्त मांगों को लेकर असन्तोष व्यक्त करते हुए दीपावली के दिन 27 अक्तूबर 2019 से अखबार लेना बन्द कर दिया है । हाकर्स की हड़ताल के कारण जहाँ एक ओर समाचार पत्रों का व्यापार प्रभावित हो गया है, वहीं दूसरी सुधी पाठकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है ।
आज के हाइटेक जमाने में भले ही लोगों को पल पल की खबर टीवी स्क्रीन पर दिखाई पड़ रही है और आभासी दुनिया ( सोशल मीडिया ) ने सूचना तन्त्र को अत्यधिक त्वरित बना दिया है, लेकिन समाचार पत्रों की उपयोगिता पूर्व की भांति बनी हुई है । एक बड़ा पाठक वर्ग समाचार पत्रों का मुरीद है । उसे अखबार चाहिए तो चाहिए । बिना समाचार पत्र पढ़े हमारे सुधी बुद्धिजीवियों की क्षुधा शान्त नहीं होती । यह सही भी है और ऐसा होना भी चाहिए । अखबार हमें सम्पूर्ण और विस्तृत सूचनाओं समाचारों की विश्वसनीयता के साथ साथ विभिन्न विशेष और सम सामयिक विषयों पर ज्ञानार्जन भी कराते हैं । ऐसे में समाचार पत्रों का वितरण रूक जाना एक समस्या है ।
अखबारों के मुख्यालयों को लिखे पत्र में समाचार पत्र वितरक जगराम यादव, अनिल यादव, बबुन्दर यादव, बाबूराम यादव, अजय सिंह, राजन यादव, पवन कुमार, जग प्रसाद, राम धीरज, अमृत यादव, राम लौट चौधरी, अमर जीत यादव, उदयराज यादव, राम सूरत चौधरी, गुड्डू यादव, दुर्गेश यादव, विनोद यादव, कन्हैया यादव, अनूप उपाध्याय, शिव चन्द्र, वीर बहादुर, राजू यादव, रवि वर्मा, जगराम यादव, धर्मेन्द्र यादव, संजय यादव, हीरालाल यादव, शिवपूजन प्रजापति व राम जनक प्रजापति आदि ने हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें इनकी मुख्य मांग तीन प्रतिशत वापसी है ।
बता दें कि वापसी से आशय हाकर्स के पास बिक्री से बचे हुए अखबार संस्थानों द्वारा वापस लिये जाने से है । अन्यथा की स्थिति में समाचार पत्र वितरकों को बचे हुए अखबार के रूप पूंजीगत क्षति उठानी पड़ती है । पहले से ऐसी व्यवस्था रही है कि वापसी का प्रतिशत तय करके बचे हुए अखबारों वापस लिये जाते रहे हैं ।
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